Kaantha Teaser हुआ रिलीज़ – एक इमोशनल पीरियड ड्रामा, जिसमें दिखेगा पिता-पुत्र के रिश्तों का संघर्ष
डायरेक्टर सेल्वराज सेल्वमणि की नई फिल्म ‘कांताः (Kaantha)’ का टीज़र रिलीज़ हो चुका है, और इसे देखकर कहा जा सकता है कि यह फिल्म साल की सबसे बहुप्रतीक्षित फिल्मों में से एक बनने जा रही है। फिल्म में मुख्य भूमिकाओं में हैं डुलकर सलमान और समुथिरकानी, जो एक पिता-पुत्र की भावनात्मक और टकराव भरी कहानी को पर्दे पर जीवंत करते नजर आएंगे।

Kaantha का टीज़र: रेट्रो सेटअप, दमदार एक्टिंग और इमोशनल पंच
टीज़र की शुरुआत होती है 1950 के दशक के मद्रास से, जहां एक स्टूडियो अपनी पहली हॉरर फिल्म ‘सांताः (Saantha)’ की घोषणा करता है। इस फिल्म को डायरेक्ट कर रहे हैं समुथिरकानी, जिन्हें सब प्यार से ‘अय्या’ बुलाते हैं। लेकिन वो फिल्म की कास्टिंग से खुश नहीं हैं।
यहां ट्विस्ट आता है जब पता चलता है कि फिल्म में लीड रोल निभा रहा है उनका बेटा – एक सुपरस्टार, जिसे उन्होंने खुद पूरी ज़िंदगी फिल्म के लिए तैयार किया। बावजूद इसके, उनके बीच कुछ तो गलत हो गया है। और यहीं से शुरू होता है पिता-पुत्र के टूटते रिश्तों का सफर, जो दिल को छू लेने वाला है।
Kaantha की कास्ट और टीम
निर्देशक: सेल्वराज सेल्वमणि
मुख्य कलाकार: डुलकर सलमान, समुथिरकानी, भाग्यश्री
संगीत: जानु चांथर
प्रोड्यूसर: राणा दग्गुबाती, डुलकर सलमान, प्रशांत पोटलुरी और जोम वर्गीज
बैनर: Spirit Media और Wayfarer Films
Kaantha की रिलीज़ डेट
फिल्म 12 सितंबर, 2025 को थिएटर्स में रिलीज़ की जाएगी। हिंदी डब संस्करण को लेकर भी दर्शकों में काफी उत्साह है।
क्यों देखें Kaantha?
अगर आपको रेट्रो सिनेमा, पारिवारिक ड्रामा, और इमोशनल स्टोरीलाइन पसंद है तो यह फिल्म आपके लिए है।
डुलकर सलमान और समुथिरकानी जैसे एक्टर्स जब एक स्क्रीन पर आते हैं, तो परफॉर्मेंस दमदार होना तय है।
टीज़र से साफ है कि फिल्म में कंटेंट, इमोशन और विजुअल ट्रीट तीनों का जबरदस्त मेल है।
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‘कांथा’ टीज़र, जिसे अभिनेता दुल्कर सलमान ने अपने जन्मदिन (28 जुलाई, 2025) पर रिलीज़ किया, अपने आप में एक शानदार सिनेमाई प्रस्तुति का परिचायक है। यह फिल्म 1950 के दशक के मद्रास की पृष्ठभूमि में स्थापित एक पीरियड ड्रामा है, जो दो रचनात्मक दिग्गजों—एक निर्देशक (समुथिरकानी) और उसका सुपर्स्टार पुत्र (दुल्कर)—के बीच अहंकार, विरासत और कलात्मक संघर्ष को दर्शाती है ‘सांथा’ नामक महिला-केंद्रित फिल्म के सेट से टीज़र की शुरुआत होती है, और धीरे-धीरे यह स्पष्ट हो जाता है कि दोनों की आपसी दूरी केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पेशेवर भी है
टीज़र की सबसे प्रभावशाली विशेषता है उसकी दृश्यमान प्रस्तुति—ब्लैक-एंड-व्हाइट और रंगीन शॉट्स का संयोजन एक कालातीत सौंदर्यशास्त्र प्रस्तुत करता है। यह तकनीकी सौंदर्य और भावनात्मक द्वंद्व को दृढ़ता से जोड़ता है—जहाँ काले-भोरे दृश्य निर्देशक की पुरानी, सुचारू दुनिया को और रंगीन दृश्य पुत्र की नई, दबदबा चाहती दुनिया को दर्शाते हैं । दानी संजेज़ लोपेज़ की सिनेमैटोग्राफी और तहा. रामलिंगम की आर्ट डायरेक्शन 1950 के दशक की मद्रास का माहौल जीवंत कर देता है
दुल्कर सलमान की ‘चंद्रन’ भूमिका में दी गई प्रस्तुति एक सुपरस्टार की जख्मी संवेदनाओं—ताकत, ईगो, और विरासत की तलाश—को खूबसूरती से दर्शाती है। उनकी आँखों में जमी गहराई इसके इंटेंस भाव को प्रकट करती है। वहीं समुथिरकानी की ‘अय्या’ भूमिका—एक अनुभवी निर्देशक की—भी काफी प्रभावशाली है, जो अपनी कलात्मक दृष्टि और ठोस सम्मान को जीवंतता से दर्शाता है। टीज़र की सबसे चौंकाने वाली घटना तब होती है जब ‘चंद्रन’ फिल्म का नाम बदलकर ‘कांथा’ कर डालता है—यह परिवर्तन कहानी में शक्ति, नियंत्रण और खुद की स्वायत्तता की कहानियां बयाँ करता है
संगीत और बैकग्राउंड स्कोर ने टीज़र को और भी द्रुत और तनावपूर्ण बना दिया है। Jhanu Chanthar का संगीत अत्यंत स्वादपूर्ण और फोकस्ड है, जो भावनात्मक गहराई बढ़ाता है और कहानी की गंभीरता को अहसास कराता है । वहीं Selvamani Selvaraj का निर्देशन और पटकथा, जो सीधे 1950 के दशक की फिल्म इंडस्ट्री की जटिलताओं में समाता है, रचनात्मक संघर्ष और पिता-पुत्र के बीच जटिल रिश्ते की गहराई को पर्दे पर मजबूती से लाता है
इंटरनेट और सोशल मीडिया पर ‘कांथा’ टीज़र को जबरदस्त सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। दर्शक और फिल्म प्रेमी इसे “बेहतरीन” और “बहुत प्रभावशाली” करार दे रहे हैं; कई लोग इसे सुपरहिट और दुल्कर की स्क्रिप्ट चॉइस के रूप में सराह रहे हैं । फैन कमेंट्स में ‘महानटी’ जैसी परवाहनीय भूमिकाओं का जिक्र किया गया है और उम्मीद जताई जा रही है कि ‘कांथा’ उनके करियर का एक और दमदार अध्याय साबित होगा ।
सामग्री की रूपरेखा, निर्देशन, संगीत, सिनेमैटोग्राफी और अभिनय—हर तत्व से यह टीज़र यह संकेत देता है कि ‘कांथा’ एक मजबूत भावनात्मक और कलात्मक अनुभव होगा। यह केवल एक पिता-पुत्र की दास्ताँ नहीं, बल्कि फिल्म उद्योग में स्वयं की पहचान बनाने की कहानी है, जो आत्म-अवमूल्यन, सत्ता संघर्ष और विरासत के बीच बनती है। इसके कथानक की सटीकता तथा दृश्य मुहावरे इसे सत्र के सबसे प्रत्याशित फिल्मों में शामिल करती हैं।