भारत के पास सिर्फ 20 दिन बचे हैं 50% ट्रंप टैरिफ से बचने के लिए – क्या हैं इसके विकल्प?

Trump tariff on Indai : Stock markets weathers now higher U.S. tariff storm

परिचय: भारत पर ट्रंप का नया टैक्स हमला

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बड़ा व्यापारिक हमला किया है। उन्होंने भारत पर लगने वाले टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है। यह फैसला भारत के रूस से तेल खरीदने के चलते लिया गया है, जिसे वॉशिंगटन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर दबाव बनाने की रणनीति बताया है।

यह टैरिफ 27 अगस्त 2025 से लागू होगा, यानी भारत के पास अब सिर्फ 20 दिन का समय है इस संकट से निपटने का। इस दौरान भारत को ऐसे निर्णय लेने होंगे जो आर्थिक और कूटनीतिक दृष्टि से दूरगामी परिणाम ला सकते हैं।

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भारत पर प्रभाव: कौन-से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे?

भारत अमेरिका को हर साल लगभग $86.5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो हमारे कुल निर्यात का लगभग 18% और GDP का 2.2% हिस्सा है। यदि 50% टैरिफ लागू हो गया, तो निम्नलिखित क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे:

  • टेक्सटाइल (कपड़ा उद्योग)
  • जेम्स एंड ज्वेलरी (रत्न और आभूषण)
  • फुटवियर और लेदर उत्पाद
  • फर्नीचर और अन्य लेबर-इंटेंसिव उत्पाद

भारतीय टेक्सटाइल इंडस्ट्री के नेता राकेश मेहरा ने कहा है कि यह फैसला भारतीय निर्यातकों के लिए “बहुत बड़ा झटका” है।

“50% टैरिफ का असर सीधे तौर पर नौकरियों और निर्यात क्षमता पर पड़ेगा।”

क्या ये व्यापार युद्ध की शुरुआत है?

पूर्व आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा कि भारत की “सबसे बड़ी चिंता” अब सच होती दिख रही है।

“यदि जल्द ही व्यापार वार्ता आगे नहीं बढ़ती, तो यह एक अनावश्यक व्यापार युद्ध की ओर बढ़ सकता है।”

विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका का यह फैसला रणनीतिक रूप से खतरनाक है, क्योंकि भारत न केवल एक प्रमुख लोकतांत्रिक सहयोगी है, बल्कि अमेरिका के इंडो-पैसिफिक रणनीति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

भारत के पास क्या विकल्प हैं?

1. कूटनीतिक बातचीत तेज़ करना

सरकार को जल्द ही अमेरिका के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता करनी होगी। अगस्त के अंत तक अमेरिका की टीम भारत आ रही है। इसमें कृषि और डेयरी पर समझौते की संभावना हो सकती है।

2. रूस से तेल खरीद पर स्थिति स्पष्ट करना

भारत को यह स्पष्ट करना होगा कि उसकी तेल खरीद ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से है, और नीतिगत दृष्टिकोण से तटस्थ है।

3. वैकल्पिक बाजारों की तलाश

यदि अमेरिका का बाजार महंगा हो जाता है, तो भारत को यूरोप, अफ्रीका और ASEAN देशों में निर्यात बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।

4. SCO सम्मेलन में रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना

प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा (SCO सम्मेलन में भाग लेने के लिए) इस समय और भी अहम हो गया है। वहां भारत-रूस-चीन त्रिपक्षीय वार्ता की संभावना जताई जा रही है।

क्या निवेशकों का भरोसा डगमगाएगा?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की “चाइना प्लस वन” रणनीति को बहुत बड़ा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि सेमीकंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पर अभी कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगा है।

Apple, जो भारत में बड़ी संख्या में iPhones बना रहा है, अभी सुरक्षित नजर आ रहा है।

सरकार का समर्थन और रणनीति

फिलहाल सरकार ने सब्सिडी की बजाय एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम्स और ट्रेड फाइनेंसिंग पर ज़ोर दिया है। लेकिन Nomura जैसे संस्थान मानते हैं कि यह उपाय पर्याप्त नहीं होंगे, जब तक सीधा सरकारी सहयोग नहीं बढ़े।

राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्ष का हमला

राहुल गांधी ने ट्रंप की नीति को “आर्थिक ब्लैकमेल” बताया है और कहा है कि यह भारत को एक “अनुचित व्यापार समझौते” के लिए मजबूर करने की कोशिश है।

क्या भारत बदले में जवाब देगा?

2019 में भारत ने 28 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाया था, जब अमेरिका ने भारत के स्टील और एल्यूमीनियम पर शुल्क बढ़ाया था। Barclays Research का मानना है कि भारत इस बार भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है, लेकिन इससे आर्थिक संबंध और बिगड़ सकते हैं

निष्कर्ष: 20 दिन, एक बड़ी परीक्षा

आगामी 20 दिन भारत की कूटनीतिक और आर्थिक सूझबूझ की सबसे बड़ी परीक्षा हैं। अगर भारत सही समय पर सही कदम उठाता है, तो न केवल वह इस टैरिफ संकट से उबर सकता है, बल्कि अपने वैश्विक व्यापारिक और रणनीतिक रिश्तों को और मजबूत कर सकता है।

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