सत्यपाल मलिक, जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल का निधन | Satya Pal Malik Passes Away

SatyaPal Malik has also served as the Governor of Meghalaya, Goa, Odisha, and Bihar

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने भारत के कई राज्यों — मेघालय, गोवा, ओडिशा और बिहार — में राज्यपाल के रूप में सेवाएं दीं।

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सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर

सत्यपाल मलिक का राजनीति में प्रवेश 1960 के दशक में हुआ, जब वे राम मनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से प्रेरित हुए। वे कई दलों से जुड़े और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभाईं:

  • 2004 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए।
  • 2012 में बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए।
  • 2014 लोकसभा चुनाव से पहले वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम का हिस्सा रहे।

कांग्रेस और जन मोर्चा से लेकर बीजेपी तक

सत्यपाल मलिक का एक छोटा कार्यकाल कांग्रेस पार्टी में भी रहा। वे उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव रहे। बाद में बोफोर्स घोटाले को लेकर उन्होंने 1987 में कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और जन मोर्चा की स्थापना की, जो आगे चलकर जनता दल बना।

राज्यकार्यकाल
बिहार2017 में नियुक्त
जम्मू-कश्मीरअगस्त 2018 में भेजे गए
गोवाअक्टूबर 2019 में ट्रांसफर
मेघालय2020 में कार्यभार संभाला, 4 अक्टूबर 2022 को सेवानिवृत्त

सत्यपाल मलिक उस समय जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे जब 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाया गया, जो एक ऐतिहासिक निर्णय था।

उत्तर प्रदेश और हरियाणा से संबंध

सत्यपाल मलिक उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से ताल्लुक रखते थे और उनकी पूर्वजों की जड़ें हरियाणा से भी जुड़ी थीं। वे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली जाट समुदाय से आते थे।

नोट: सत्यपाल मलिक का निधन भारत की राजनीति में एक युग का अंत है। वे न केवल कई संवेदनशील राज्यों के राज्यपाल रहे, बल्कि उन्होंने अनेक राजनीतिक उतार-चढ़ाव भी देखे।

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सत्यपाल मलिक के निधन ने भारतीय राजनीति और समाज में एक गहरा शोक और खालीपन पैदा कर दिया है। एक ऐसे नेता के रूप में, जिन्होंने अपने समर्पण, ईमानदारी और जनसेवा के लिए हमेशा जनता के दिलों में खास जगह बनाई, सत्यपाल मलिक का जाना न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उन्होंने कभी अपने आदर्शों और सिद्धांतों को नहीं छोड़ा।

सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक करियर में जम्मू-कश्मीर के कई अहम पदों पर काम किया और वहां के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के विकास और स्थिरता के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उनके कार्यकाल में, उन्होंने विभिन्न सामाजिक-आर्थिक सुधारों को लागू किया, जिससे क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा मिला।

सत्यपाल मलिक के निधन से न केवल उनके समर्थक बल्कि पूरे देश के राजनीतिक और सामाजिक समुदाय को एक प्रेरक नेता खोना पड़ा है। उनकी दूरदर्शिता, समझदारी और जनता के प्रति संवेदनशीलता उन्हें एक अलग मुकाम पर ले गई। वे हमेशा जनता के हितों के लिए आवाज उठाते रहे और राजनीति को सेवा का माध्यम माना। उनके निधन से यह जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि आने वाली पीढ़ियां उनके कार्यों और सिद्धांतों से प्रेरणा लें।

उनका जीवन हमें सिखाता है कि राजनीतिक जीवन केवल सत्ता प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि समाज की सेवा का अवसर होना चाहिए। सत्यपाल मलिक का योगदान हम सभी के लिए मिसाल है कि किस प्रकार एक नेता अपने क्षेत्र के लिए समर्पित होकर सकारात्मक बदलाव ला सकता है। उनकी यादें और शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेंगी।

अंततः, सत्यपाल मलिक का निधन एक युग का अंत है, लेकिन उनका सपना और प्रयास हमारे बीच सदैव जीवित रहेंगे। उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और उनके आदर्शों को बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सभी की है। देश उन्हें सम्मान के साथ याद करेगा और उनके द्वारा शुरू किए गए कार्यों को आगे बढ़ाने का प्रयास जारी रहेगा। उनके निधन से जो खालीपन महसूस होता है, उसे उनके आदर्शों और सेवा भावना के माध्यम से भरा जा सकता है। उनकी आत्मा को शांति मिले और उनके परिवार को इस दुख की घड़ी में साहस मिले।

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