Air India Crash Mystery: जानें हादसे के पीछे के चौंकाने वाले सच

Air inidia AI 171 chashed Mystrery

एयर इंडिया एआई 171 की प्रीलिमिनरी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में कुछ ऐसे इंशफात हुए हैं, जिसने एविएशन की दुनिया में एक नई मिस्ट्री खड़ी कर दी है। क्रैश से सिर्फ चंद सेकंड्स पहले दोनों इंजिन्स के फ्यूल स्विच्स को रन पोज़ीशन से कट ऑफ पोज़ीशन में किसने किया था।

जब फ्यूल कट ऑफ होने के बाद दोनों इंजन घुटने लगे तो एक पायलट ने पूछा कि फ्यूल कट ऑफ क्यों किया है? जीस पर दूसरे पायलट ने कहा कि मैंने नहीं किया क्या वजह थी कि टेक ऑफ के इतने क्रिटिकल टाइम पर एक नहीं दोनों इंजिन्स के फ्यूल स्विच बंद कर दिए गए।

क्या स्विच्स में कोई खराबी थी? पायलट ने जान बूझकर किया या फिर ये किसी मल फंक्शन का नतीजा था? हिस्टरी में हुए दूसरे ऐसे ही हादसे जिसमें पायलट ने जान बूझकर सुसाइड किया था, उनमें और ए आई 171 में क्या कुछ कामन है आज हम?
डीप में जाकर इस मु्द्दे को समझने की कोशिश करेंगे।

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KhabarDailly.com में आपका स्वागत है. 12th जून 2025 की सुबह अहमदाबाद इंटरनेशनल एअरपोर्ट पर एक रूटीन का दिन था। हवा में हल्की सी गर्मी और आसमान बिल्कुल साफ था।
क्नॉइस कुछ जहाज टर्मिनल पे खड़े पैसेंजर्स को ऑन बोर्ड कर रहे थे तो कुछ टैक्सी के फेस में थे, जबकि रनवे पर हर 5 मिनट में कोई जहाज लैंड या टेक ऑफ कर रहा था। इसी भीड़ के बीच एयर इंडिया का एक बोइंग 7878 ड्रीमलाइनर भी खड़ा था।

जिसका टेल नंबर वि टीए एनबी जबकि फ्लाइट नंबर ए आई 171 था। ये जहाज आज के दिन ही 2 घंटे पहले दिल्ली से अहमदाबाद आया था और अब ये अहमदाबाद से लंडन जाने के लिए बिल्कुल तैयार था।

कोई नहीं जानता था कि चंद लम्हों के बाद यह ड्रीमलाइनर दुनिया भर में हेडलाइन्स और एविएशन की दुनिया में एक मिस्ट्री छोड़ने वाला है। कॉकपिट में 56 इयर्स के कैप्टन सुमीत सबरवाल मौजूद थे जिनका टोटल फ्लाइइंग एक्सपीरियंस 15,600 घंटे बताया जा रहा है। जिसमें से 8002। 200 घंटे उन्होंने इसी बोइंग 787 पर हासिल किया। जबकि को पायलट जिन्हें फर्स्ट ऑफिसर भी कहा जाता है, 32 इयर्स के क्लिफ कुंदर थे जिनका टोटल एक्सपीरियंस 3400 अवर्स और बोइंग 787 वो टोटल 11120 एयठ अवर्स फ्लाई कर चूके थे।

रिपोर्ट्स में बताया गया है कि दोनों पायलट्स ने फ्लाइट से करीब डेढ़ घंटे पहले ब्रेड्थ एनालाइजर टेस्ट पास किया और फ्लाइट के लिए बिल्कुल परफेक्ट पाए गए। यही सेम एयरक्रॉफ्ट विटी ए एनबी दिल्ली से फ्लाइट एआई 423 ऑपरेट करते हुए अहमदाबाद पहुंचा था। पिछली फ्लाइट में एक छोटा सा टेक्निकल इश्यू आया था, जिसे एयरक्रॉफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर ने ट्रबल्शूटिंग करके क्लियर कर दिया। अब ये जहाज अपनी अगली प्रवास के लिए बिल्कुल तैयार था।

फ्लाइट ए आई 171 में टोटल 230 पैसेंजर्स थे। इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में लिखा गया है कि जहाज में 54,200 केजी का फ्युयेल भरा गया और इसका टेक ऑफ वेइट 2,13,400 केजी था, जो बोइंग 787 के लिहाज से बिल्कुल नॉर्मल रेंज में आता है।जहाज में किसी खतरनाक सामान की मौजूदगी के निशानाध्व भी नहीं मिले। सब कुछ मामूल के मुताबिक था। बोटिंग होने के बाद एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर की रिकॉर्डिंग्स के मुताबिक एक बजकर 13 मिनटों पर एयरक्रॉफ्ट ने टर्मिनल से पुश बेक और स्टार्टअप की परमिशन मांगी।

पीएम और 45 सेकण्ड्स पर एटीसी ने एयरक्रॉफ्ट को रनवे 23 पर लाइन अप होने की इंस्ट्रक्शंस दी। उस वक्त विंड स्पीड सिक्स नॉट्स यानी तकरीबन 11 किलोमीटर्स पर अवर थी। मौसम बिल्कुल साफ और विजिबिलिटी 6000 मीटर्स रिकॉर्ड की गई।कहने का मतलब है कि सब टॉप तक सब कुछ नॉर्मल दिख रहा है, लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने सब कुछ बदल दिया। तकरीबन तीन सेकंड्स के बाद एयरक्रॉफ्ट ने 180 नॉट्स की स्पीड भी अचीव की, जिसका मतलब है कि टेक ऑफ के तीन सेकंड्स बाद तक भी इंजन थ्रस्ट प्रोड्यूस कर रहा था।

एनहांस्ड एयरक्रॉफ्ट फ्लाइट रिकॉर्डर की मदद से मालूम पड़ा कि इसके फौरन बाद इंजन वॅन और इंजन टू के फ्युयेल कट ऑफ स्विच्स एक के बाद एक सिर्फ एक सेकंड के वक्त पे से रन पोज़ीशन से कट ऑफ पोज़ीशन में तब्दील हो गए।

इंजन की फ्युयेल सप्लाई अब कट गई और उनकी एन वॅन और एन टू वैल्यूज तेजी से गिरने लगी। यानी इंजन का थ्रस्ट तेजी से कम होने लगा। कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर, जिसमें कॉकपिट की तमाम आवाजें रिकॉर्ड होती हैं।

उसमें सुना गया कि ठीक इसी पॉइंट पर एक पायलट कहता है कि तुमने फ्यूल स्विच क्यों कट किया है और अगले ने बोला कि मैंने नहीं किया। इन्वेस्टिगेशन टीम को अभी तक ये नहीं पता चला कि किस पायलट ने ये सवाल किया था और किस पायलट ने जवाब दिया।

सीसी टी वि फुटेज में भी लिफ्ट ऑफ के फौरन बाद ही रैम एयर टरबाइन डिप्लाय होता दिखाई दिया, जिसे शार्ट में रेड भी कहते हैं। ये एक इमरजेंसी पावर सोर्स होता है, जो इंजन बंद होने पर ऑटोमेटिकली डिप्लाय हो जाता है। ये पावर जहाज के मेन इलेक्ट्रिकल सिस्टम को चलाने के काम आता है।

रैट का डिप्लॉय होना इस बात की निशानी है कि जहाज में कुछ न कुछ अनयूज़ुअल जरूर हुआ था। फुटेज में भी देखा गया कि जहाज अपना एल्टिट्यूड तेजी से खो रहा है और इ ए ऐफ़ आर डेटा से भी ये बात साबित होती है। क्योंकि उस वक्त दोनों इंजिन्स की एन टू वैल्यूज अपनी मिनिमम ऐडियल स्पीड से भी कम हो गई। 01:39 पीएम और फाइव सेकण्ड्स पे एटीसी की रिकॉर्डिंग्स में मेंडे का डिस्ट्रेस सिग्नल रिकॉर्ड हुआ। जब एटीसी ने कॉल साइन पूछा तो आगे से कोई जवाब नहीं मिला।

साथ ही एटीसी ने एयरक्रॉफ्ट को एअरपोर्ट बाउंड्री के बाहर क्रैश होते देखा और इमरजेंसी रिस्पांस फौरन अक्टिवेट कर दिया गया। एयरक्रॉफ्ट रनवे 23 के सीद में 1600 मीटर्स दूर पहले आर्मी मेडिकल कॉप्स की एक बिल्डिंग की चिमनी से टकराया। और फिर पी जे मेडिकल कॉलेज हॉस्टल से टकरा गया। पूरा मलबा पहले इम्पैक्ट पॉइंट से तकरीबन 1000 फिट लंबे और 400 फिट चौड़े इलाके में फैल गया। इस हादसे में 12 क्रू मेंबर्स और 229 पैसेंजर्स की जान चली गई, जबकि जमीन पर 19 लोग भी इस हादसे का शिकार हुए। सिर्फ एक मुसाफिर कुदरती तौर पर इमरजेंसी एग्ज़िट के पास बैठे रहने की वजह से किसी तरह बचने में कामयाब हो गया।

15 पेज की इस इप्तदायी इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट में एक एक चीज़ डीटेल में लिखी है। जैसा कि क्रैश के बाद मलबे से फ्लैप हैंडल असेंबली मिली, जो पांच डिग्री की फ्लैप पोज़ीशन में मौजूद थी जो कि एक नॉर्मल टेक ऑफ फ्लैप सेट्टिंग होती है और ये चीज़ इ ए ऐफ़ आर डेटा से भी कन्फर्म हुई। लैंडिंग गैर लिवर डाउन पोज़ीशन में मिला और थ्रस्ट लिवर बेशक काफी जल चुका था लेकिन क्रैश होने तक फॉर्वर्ड पोज़ीशन में ही था जबकि सबसे अहम चीज़ फ्युयेल कंट्रोल स्विच्स रन पोज़ीशन में ही पाए गए। यानी के क्रैश से पहले पायलट्स ने वापस फ्युयेल स्विच ऑन कर दिए थे।

अब ये फ्यूल स्विच्स नॉर्मल्ली ऐसे डिजैन्ड होते हैं कि सिर्फ कोई इंसान ही इन्हें बंद या खोल सकता है। दोनों स्विच्स के लेफ्ट और राइट पे एक लॉकिंग मेकानिज्म दिया गया है। इस लॉकिंग मेकानिज्म का काम है स्विच को ऐक्सिडेंटली ऑन या ऑफ होने से बचाना। जब भी पायलट को इंजन का फ्युयेल ओपेन करना हो तो इसमें पायलट के दोनों हाथों का इस्तेमाल जरूरी होता है। एक हाथ से लॉक को पुश किया जाता है और दूसरे हाथ से स्विच को पुल्ल करके ऊपर या नीचे किया जाता है और यही यूज़ करने ही लगे थे, लेकिन उसी वक्त क्रैश हो गया। अब यहाँ सबसे बड़ी मिस्ट्री ये है कि फ्लाइट ए आई 171 टेक ऑफ तक बिल्कुल परफेक्ट थी। इंजन से लेकर इसमें भरने वाले फ्यूल तक सब कुछ नॉर्मल था।

इन्वेस्टिगेशन टीम ने फ्यूल टैंकर जिसकी मदद से एआई 171 को रीफ्यूल किया गया था, उसके फ्यूल सैंपल्स भी लेकर लैब में चेक किए लेकिन उसमें भी कोई गड़बड़ नहीं पाई गई। अगर सब कुछ ही परफेक्ट था तो फिर फ्यूल स्विच्स को जान बूझकर बंद क्यों किया गया?

या कहीं उनका लॉकिंग मेकानिज्म खराब तो नहीं था? रिपोर्ट में एक और अहम चीज़ का भी जिक्र है और वो ये है कि ऐफ़ ए ए ने 2000 एयठीन में एक स्पेशल एयर वर्थिनेस इन्फॉर्मेशन बुलेटिन जारी किया था। जिसमें फ्यूल कंट्रोल स्विच लॉकिंग फीचर के निकलने के मकान के बारे में बताया गया था। यानी फ्यूल स्विच के लॉकिंग फीचर के निकलने का खतरा कहीं ना कहीं एविएशन इंडस्ट्री में मंडला जरूर रहा था।

 ये बुलेटिन जिसे सैफ भी कहा जाता है बोइंग 737 एयरप्लेन्स के ऑपरेटर्स की शिकायत पर जारी किया गया था, जिसका मतलब है कि बोइंग 737 के कुछ एयरक्रॉफ्ट में ये मसला पहले भी रिपोर्ट हो चुका है।फ्युयेल कंट्रोल स्विच डिज़ैन जिसमें लॉकिंग फीचर भी शामिल है। एयरप्लेन मॉडल्स पर एक जैसा ही है, जिसमें पार्ट नंबर फोर टी एल 8373 डी बी शामिल है और वही पार्ट एयर इंडिया फ्लाइट ए आई 171 में इस्तेमाल होने वाले एयरक्रॉफ्ट।

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वि टीए एंड बी में लगा हुआ था। ऐफ़ ए ए ने 7 साल पहले वार्न किया था कि कुछ फ्यूल कंट्रोल स्विच्स के लॉक डिस्इन्गेज्ड स्टेट में इन्स्टॉल हुए हैं। एयर इंडिया ने इस इंस्पेक्शन को स्किप किया क्योंकि वो मांडेटोरी नहीं बल्कि ऐफ़ ए ए की तरफ से महज एक अडवाइस थी।पर दूसरी तरफ अगर अज़्यूम किया जाए कि एयरक्रॉफ्ट का फ्यूल स्विच लॉकिंग मेकानिज्म खराब भी था और टेक ऑफ के दौरान गलती से वो स्विच ऑफ हो गया तो इतना बड़ा इत्तफाक कैसे हुआ? के दोनों स्विच्स एक सेकंड के वकफे से एक के बाद एक बंद हो गए?

और अगर तो पायलट ने खुद जानबूझकर किया तो इसकी सिर्फ एक ही वजह हो सकती है और वो है सुसाइड। पर क्या वाकई ये सुसाइड भी था या नहीं? 2015 में जर्मन विंग्स फ्लाइट 9525 के को पायलट ने कॉकपिट को अंदर से लॉक कर दिया जब कैप्टन बाथरूम यूज़ करने गया था कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर से पता चला कि उसने जान बूझ कर प्लेन को एल्स के पहाड़ों से टकराया। बाद में पता चला कि को पायलट का मेंटल हेल्त रिकॉर्ड पहले से खराब था। 2013 में लैम्ब मोज़ाम्बीक फ्लाइट 470 के कैप्टन ने ऑटो पायलट को मैन्युअली जीरो फीट्स पे सेट कर दिया था। जब फर्स्ट ऑफिसर कॉकपिट से बाहर गया।

ऐफ़ डी आर डेटा से कन्फर्म हुआ कि उसने ये काम जान बूझ कर किया और एयरक्रॉफ्ट क्रैश हो गया। इसी तरह 19199 में ईजिप्ट फ्लाइट 919 में भी क्रैश होने से पहले कॉकपिट में रिलीजियस फ्रेसेस सुने गए और उसके बाद एयरक्रॉफ्ट नोज़ डाइव पोज़ीशन में चला गया।को पायलट का ये अमल ईजिप्ट की गवर्नमेंट के मुताबिक एक मेकानिकल फेल्यूर का नतीजा था, जबकि ऐफ़ ए ए ने इसे सुसाइड मिशन किया और 19197 में सिल्क एयर फ्लाइट 185 में भी पायलट ने पहले कॉकपिट वौइस् रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर को मैन्युअली बंद किया और उसके

बाद जहाज को नोस डाइव पोज़ीशन में लाकर क्रैश कर दिया। हिस्टरी के इन वाक्यात को नजर में रखते हुए इन सब सुसाइडल मशीन्स में एक चीज़ कॉमन पाई गई पायलट का एटीसी को जवाब ना देना। पर एयर इंडिया 171 के केस में जैसा इसे सोशल मीडिया परवैसा बिल्कुल नहीं लगता।

इस बारे में आपकी क्या राय है, हमें कमेंट सेक्शन में बताएं। आशा करते हैं कि यह रहस्य आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही मज़ेदार ब्लॉग पढ़ने के लिए हमें फ़ॉलो करते रहें।”

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